Tuesday, February 19, 2013

मेरी ज़िंदगी...

Life of Pie. Davao Version, Philippines
मेरी ज़िंदगी मैं तुम्हें दिल से जीना चाहती हूँ,
कभी छूना कभी चूमना तो कभी भूलना चाहती हूँ,
स्वप्न भरी आँखों को छूना चाहती हूँ,
आँखों से बहते हुए नमकीन आसुओं को,
अपनी उँगलियों से पोंछना चाहती हूँ,
ज़िंदगी मैं तुम्हारे रहस्यों को नहीं जानती,
पर इतना जानती हूँ कि मैं हर पल तुम्हें,
हर हाल में जीना चाहती हूँ,
मैं अपनी स्थूल काया से परे हो सूक्षम जीव की तरह,
ब्रह्माण्ड में विचरना चाहती हूँ,
ताकि मैं जीवन के हर रहस्य को जान सकूँ। 
- साधना 

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