Saturday, February 9, 2013

मौन












मौन है सब...
तुम क्यों बोलते हो, क्यों मौन का मान घटाते हो,
मौन मस्त-मौला है, सच-झूठ से परे है,
मौन के आगे शांति का मार्ग है,
मौन के आगे खुशी की राह है,
मौन की गूंज में हर पल उत्सव है,
मौन का गीत सबसे दुर्लभ है,
जहाँ वक्ता भी हम ही है और श्रोता भी,
प्रकृति मौन रहकर अपना दुलार पंछी, फल-फूल,
धन-धान्य के रूप में हम पर लुटा रही है,
हमें मौन रहकर प्रेम से जीना सीखा रही है,
ताकि जीवन शांति और सद्भावना के साथ बीत सके।
- साधना 

1 comment:

  1. अब तक की सबसे बेहतरीन कविता। बहुत ही आध्यात्मिक, गहरी, और सच्ची...

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